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कविता

सूर्य फल

प्रेमशंकर शुक्ल


सुबह-सुबह
परिंदे सूरज की लाली लिए
दौड़ रहे हैं
इस आसमान से उस आसमान

उठते से ही
तोंतों ने चख लिया है
सूर्य-फल

ध्यान से देखिए न!
हो गई हैं तोतों की चोंचें
कितनी लाल!

 


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