सुबह-सुबह परिंदे सूरज की लाली लिए दौड़ रहे हैं इस आसमान से उस आसमान उठते से ही तोंतों ने चख लिया है सूर्य-फल ध्यान से देखिए न! हो गई हैं तोतों की चोंचें कितनी लाल!
हिंदी समय में प्रेमशंकर शुक्ल की रचनाएँ